“Economics Questions and Answers in Hindi-Part 2” में आपको अर्थशास्त्र के महत्वपूर्ण प्रश्नों और उनके उत्तर हिंदी में प्रस्तुत किए जाएंगे। अर्थशास्त्र के विषयों जैसे उपभोक्ता अर्थशास्त्र, उत्पादन, निवेश, और अर्थव्यवस्था पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस ब्लॉग का उद्देश्य आपके अर्थशास्त्र की समझ को सुधारना और महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता प्रदान करना है। आपके सवाल और सुझाव स्वागत योग्य हैं। आगे के भागों में और प्रश्नों और उनके समाधान के साथ हम आपके ज्ञान को और भी बढ़ाएंगे। जुड़े रहें और अपने विचार साझा करें।
(a) जहां कृषि और उद्योग दोनों को समान महत्त्व दिया जाता है।
(b) जहां राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र साथ-साथ निजी क्षेत्र भी विद्यमान हो।
(c) जहां राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भूमंडलीकरण की प्रक्रिया भारी मात्रा में स्वदेशी से प्रभावित हो।
(d) जहां आर्थिक नियोजन और विकास केंद्र और राज्यों की समान भागीदारी हो।
Correct Answer: (b) जहां राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र साथ-साथ निजी क्षेत्र भी विद्यमान हो।
Explanation: मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जहां सार्वजनिक (सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र) और निजी क्षेत्र दोनों ही कार्य करते हैं। इस प्रणाली में, निजी कंपनियां और सरकारी संस्थाएं एक साथ अर्थव्यवस्था में भूमिका निभाती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में सरकारी निवेश और प्रशासन होता है, जबकि निजी क्षेत्र में यह क्षेत्र स्वतंत्र रूप से काम करता है और व्यापार की गतिविधियों में भाग लेता है।
यह प्रणाली एक सम्पूर्ण रूप में स्वतंत्र बाजार और राष्ट्रीयकृत बाजार के बीच एक संतुलित बाजार प्रणाली प्रदान करती है। इसमें विभिन्न विकास और निवेश के माध्यमों और तरीकों का सम्मिलन होता है जो समृद्धि और विकास की दिशा में मदद करता है।
इस प्रकार, मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसा आधार प्रणाली है जो एक संतुलित और समर्पित अर्थव्यवस्था की शक्ति और विश्वास को प्राथमिकता देती है, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों का भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
Q2. भारत में किस तरह की अर्थव्यवस्था है?
(a) समाजवादी
(b) गांधीवादी
(c) मिश्रित
(d) स्वतंत्र
Correct Answer: (c) मिश्रित
Explanation: भारतीय अर्थव्यवस्था एक “मिश्रित अर्थव्यवस्था” (Mixed Economy) है। मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ होता है कि इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों की भूमिका होती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में, सरकार संचालन और नियंत्रण के साथ-साथ निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहित करती है। भारत में निजी क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे अर्थव्यवस्था का विकास और वृद्धि होती है।
समाजवादी (Socialist): समाजवादी अर्थव्यवस्था में अधिकांश उत्पादन सार्वजनिक क्षेत्र में होता है और सरकारी नियंत्रण और प्रशासन में होता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था का मूल उद्देश्य समाज में अधिकार का वितरण और समानता को प्रोत्साहित करना होता है।
गांधीवादी (Gandhian): गांधीवादी अर्थव्यवस्था में गांधी जी की सोच और दृष्टिकोण को आधार माना जाता है। इस प्रणाली में ग्रामीण विकास, स्वदेशी और स्वावलंबन को महत्व दिया जाता है।
मिश्रित (Mixed): मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों की भूमिका होती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सरकारी और निजी सेक्टर दोनों के महत्वपूर्ण योगदान होते हैं।
स्वतंत्र (Free): स्वतंत्र अर्थव्यवस्था में अधिकांश निजी क्षेत्र में उत्पादन होता है और सरकार का न्यूनतम ही हस्तक्षेप होता है।
भारत में, विकास और उत्पादन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था के तहत वर्णित किया जा सकता है।
Q3. भारतीय अर्थव्यवस्था वर्णित की जा सकती है-
(a) एक पिछड़ी एवं गतिहीन अर्थव्यवस्था
(b) एक विकासशील अर्थव्यवस्था
(c) एक अर्द्धविकसित अर्थव्यवस्था
(d) एक विकसित अर्थव्यवस्था
Correct Answer: (b) एक विकासशील अर्थव्यवस्था
Explanation: भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था (A developing economy) की तरह वर्णित की जा सकती है।
पिछड़ी एवं गतिहीन अर्थव्यवस्था (A backward and stagnant economy): यह विकलांग, अविकसित और विकासहीन अर्थव्यवस्था को विवरणित करता है। ऐसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन की दर अत्यधिक निम्न होती है, और सामाजिक और आर्थिक विकास की दर में भी कमी होती है।
विकासशील अर्थव्यवस्था (A developing economy): विकासशील अर्थव्यवस्था उस स्थिति को विवरणित करती है जब अर्थव्यवस्था अधिक उत्पादन और अच्छे समाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में है। भारत की अर्थव्यवस्था अब इस मार्ग पर है, लेकिन इसमें अभी भी विकास की अधिकता है।
अर्द्धविकसित अर्थव्यवस्था (An underdeveloped economy): इसमें अर्थव्यवस्था की विकास दर में सामान्य वृद्धि होती है, लेकिन वह पूरी तरह से विकसित नहीं है। ऐसी अर्थव्यवस्था में कुछ उच्च और कुछ निम्न वृद्धि दरें होती हैं।
विकसित अर्थव्यवस्था (A developed economy): विकसित अर्थव्यवस्था उस स्थिति को विवरणित करती है जब अर्थव्यवस्था अधिक उत्पादन, स्थिरता, और अच्छे जीवन गुणवत्ता की दिशा में है।
भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था अब विकासशील अर्थव्यवस्था की दिशा में है, जहां पर उत्पादन और विकास की दर तेज है, और साथ ही सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन भी हो रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकासशीलता को समझने के लिए विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण आवश्यक है। निम्नलिखित विशेषताएं इस विकासशीलता को प्रकट करती हैं:
कम प्रति व्यक्ति आय: भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों की औसत आय अधिकांश विकसित देशों की आय से कम है।
कृषि पर अत्यधिक निर्भरता: भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य आधारशिला कृषि है। लगभग 50% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर: भारत की जनसंख्या वृद्धि की दर अधिक है जिससे आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
बेरोजगारी की समस्या: भारत में बेरोजगारी की दर अधिक है, जिससे युवाओं को रोजगार की कमी है।
पूंजी निर्माण की खराब दर: भारत में पूंजी निर्माण की दर कम है जो नई उद्योगों की स्थापना में बाधक है।
कम औद्योगिक विकास: भारत में औद्योगिक विकास की दर कम है, जिससे रोजगार के अवसर सीमित हैं।
औसत जीवन स्तर: भारत में लोगों का औसत जीवन स्तर अधिकांश विकसित देशों के मुकाबले कम है।
इन सभी विशेषताओं के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था को एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जा सकता है, जो कि आगे बढ़ने और विकसित होने की क्षमता रखती है, लेकिन कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।
Q4. भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता है- I. कृषि की प्रधानता II . उद्योग की प्रधानता III. न्यून प्रति व्यक्ति आय IV. वृहद बेरोजगारी नीचे लिखे कूट से अपना उत्तर चुनिए:
(a) केवल I और II
(b) केवल I, II और III
(c) केवल II, III और IV
(d) केवल I, III और IV
Correct Answer: (d) केवल I, III और IV
Explanation: उद्योग की प्रधानता विकसित अर्थव्यवस्था की विशेषता है। चूंकि भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है इसलिए औद्योगिक प्रभुत्व इसकी विशेषताओं में से एक नहीं है। बाकी अन्य संकेत भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ हैं।
इसलिए कूट के आधार पर, भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं हैं:
I. कृषि की प्रधानता: भारत में अधिकांश जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा कृषि से जुड़ा हुआ है। लगभग 50% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
III. न्यून प्रति व्यक्ति आय: भारत में औसत व्यक्ति आय की दर कम है जो आर्थिक विकास में अवरोधक है।
IV. वृहद बेरोजगारी: भारत में बेरोजगारी की दर अधिक है जिससे युवा और अन्य वर्गों के लोगों को रोजगार की कमी होती है।
Q5. पद ‘राष्ट्रीय आय’ निरूपित करता है –
(a) बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद, मूल्य ह्रास घटाकर।
(b) बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद, मूल्य ह्रास घटाकर, विदेश से प्राप्त निवल कारक आय जोड़कर।
(c) बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद, मूल्य ह्रास और अप्रत्यक्ष करों को घटाकर, सब्सिडी जोड़कर।
(d) बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद, विदेश से प्राप्त निवल कारक आय घटाकर।
Correct Answer: (c) बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद, मूल्य ह्रास और अप्रत्यक्ष करों को घटाकर, सब्सिडी जोड़कर।
Explanation: राष्ट्रीय आय को बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद से प्रारंभ करके मूल्य ह्रास और अप्रत्यक्ष करों को घटाकर, सब्सिडी जोड़कर निर्धारित किया जाता है।
बाजार मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP): इसमें सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) से मूल्य ह्रास (Depreciation) को घटा जाता है और इसमें अप्रत्यक्ष कर एवं सब्सिडी को सम्मिलित किया जाता है। चूंकि इसमें उत्पादित वस्तुओं के बाजार मूल्य को लिया जाता है, जिसमें अप्रत्यक्ष कर एवं सब्सिडी के प्रभाव सम्मिलित रहते है। इसलिए इसे बाजार मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) कहा जाता है।
NNPMP = GNP − Depreciation + Subsidy
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC): इसमें बाजार मूल्य पर आकलित शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष करों को घटाया जाता है और फिर सब्सिडी को जोड़ा जाता है। जब शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद की गणना साधन लागत (Factor cost) पर की जाती है, तो इसे ही राष्ट्रीय आय (N.I.) कहा जाता है।
Correct Answer: (a) साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद है।
Explanation: राष्ट्रीय आय साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product at factor cost) है। अधिक स्पष्टीकरण के लिए आप उपरोक्त प्रश्न देख सकते हैं।
Q7. बाजार मूल्यों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद है –
(a) बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेश से शुद्ध आय
(b) बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – हस्तांतरण भुगतान
(c) बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – मूल्यह्रास
(d) बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – अनुदान
Correct Answer: (c) बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – मूल्यह्रास
Explanation: बाजार मूल्य (NNPMP) पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त करने के लिए मूल्यह्रास मूल्य और प्रतिस्थापन लागत को सकल राष्ट्रीय उत्पाद से घटाया जाता है।
NNPMP = GNPMP − मूल्यह्रास
यहां, GNPMP है सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) बाजार मूल्य (Market Prices) पर।
मूल्यह्रास है उत्पादित वस्तुओं के नकारात्मक मूल्य अवमूल्यन (Depreciation)।
Q8. किसी दी गई अवधि के लिए एक देश की राष्ट्रीय आय –
(a) नागरिकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य के बराबर होगी
(b) कुल उपभोग और निवेश व्यय के योग के बराबर होगी
(c) सभी व्यक्तियों की वैयक्तिक आय के योग के बराबर होगी
(d) उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होगी
Correct Answer: (d) उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होगी
Explanation: किसी दी गई अवधि के लिए एक देश की राष्ट्रीय आय उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होगी।
राष्ट्रीय आय का अर्थ अर्थव्यवस्था में एक निर्दिष्ट समयावधि ((साधारणतया एक वर्ष)) में देश के नागरिकों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य से होता है। यह गणना भारत में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा की जाती है, जो अब राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के नाम से जाना जाता है।
Q9. एक खुली हुई अर्थव्यवस्था में, अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय (Y) है- (C, I, G, X, M का क्रमशः अर्थ है उपभोग, निवेश, सरकारी खर्च, कुल निर्यात और कुल आयात)
(a) Y=C+I+G+X
(b) Y=C+I+G+(X-M)
(c) Y=C+I+G-X+M
(d) Y=G+I-G+X-M
Correct Answer: (b) Y=C+I+G+(X-M)
Explanation: राष्ट्रीय आय (Y) को जोड़ने के लिए आपको उपभोग (C), निवेश (I), सरकारी खर्च (G), और कुल निर्यात (X) का योग करना होगा, और आपको कुल आयात (M) को घटाना होगा। इसे गणितीय रूप में इस तरह से लिखा जा सकता है:
Y=C+I+G+(X−M)
जहां Y = राष्ट्रीय आय
C = उपभोग व्यय
I = निवेश व्यय
G = सरकारी खर्च, तथा X – M = निर्यात और आयात का अंतर
Q10. निम्नलिखित में से कौन-सी एक सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी. पी.) गणना करने की विधि नहीं है?
(a) उत्पादन विधि
(b) आय विधि
(c) ह्रासमान लागत विधि
(d) व्यय विधि
Correct Answer: (c) ह्रासमान लागत विधि
Explanation: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) गणना करने की तीन विधियां अपनाई जाती हैं-
(i) उत्पादन विधि (Production Method)
(ii) आय विधि (Income Method)
(iii) व्यय विधि (Expenditure Method)
ह्रासमान लागत विधि (Diminishing Cost Method) के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद की गणना नहीं की जाती है।
Q11. यदि एक दी हुई समयावधि में कीमतें तथा मौद्रिक आय दोनों दोगुनी हो जाएं, तो वास्तविक आय-
(a) दोगुनी हो जाएगी।
(b) आधी रह जाएगी।
(c) अपरिवर्तित रहेगी।
(d) कीमतें वास्तविक आय को प्रभावित नहीं करती हैं।
Correct Answer: (c) अपरिवर्तित रहेगी।
Explanation: यदि एक दी गई समयावधि में कीमतें तथा मौद्रिक आय दोनों दोगुनी हो जाएं, तो वास्तविक आय अपरिवर्तित रहेगी।
इसका कारण यह है कि कीमतों में बदलाव से केवल वास्तविक आय की मात्रा में परिवर्तन नहीं होता है, क्योंकि आय और कीमतें दो अलग-अलग पहलु हैं। आय उत्पादन के मूल्य तथा मौद्रिक आय की अन्य प्रतिस्थापन लागतों पर आधारित है, जो आय को प्रभावित कर सकती हैं, परंतु इनका कोई सीधा संबंध कीमतों के साथ नहीं है।
Q12. सैद्धांतिक रूप से यदि आर्थिक विकास की कल्पना की जाती है, तो इनमें से किस एक को साधारणतः ध्यान में नहीं रखा जाता है?
(a) सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि
(b) विश्व बैंक से वित्तीय सहायता में वृद्धि
(c) सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि
(d) प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि
Correct Answer: (b) विश्व बैंक से वित्तीय सहायता में वृद्धि
Explanation: आर्थिक विकास की प्रक्रिया में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी), और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि का महत्वपूर्ण ध्यान रखा जाता है। विश्व बैंक की वित्तीय सहायता इस विकास की प्रक्रिया में शामिल नहीं है, इसलिए इसे ध्यान में नहीं रखा जाता। /p>
Q13. 1949 में, राष्ट्रीय आय समिति का अध्यक्ष कौन था?
(a) डी. आर. गाडगिल
(b) वी. के. आर. वी. राव
(c) सी. आर. राव
(d) पी. सी. महालनोबिस
Correct Answer: (d) पी. सी. महालनोबिस
Explanation: 1949 में, स्वतंत्रता पश्चात् राष्ट्रीय आय समिति (एनआईसी) का गठन हुआ था। इस समिति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय आय के अनुमान लगाने तथा आँकड़ों के संकलन करने का था। पी.सी. महालनोबिस इस समिति के अध्यक्ष थे, जबकि डी.आर. गाडगिल और वी.के.आर.वी. राव इस समिति के सदस्य थे।
Q14. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य किसके द्वारा किया जाता है?
(a) योजना आयोग
(b) राष्ट्रीय सर्वेक्षण निदेशालय
(c) राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन
(d) वित्त मंत्रालय
Correct Answer: (c) राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन
Explanation: भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान (National Statistical Office, NSO) द्वारा किया जाता है। NSO पहले केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) के नाम से जाना जाता था। इस संगठन का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय आय और अन्य आर्थिक पैमाने के आँकड़ों का संकलन और प्रस्तुति है।
केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (CSO) का गठन मई, 1951 में किया गया था, जो भारत की राष्ट्रीय आय की गणना करता था। वर्ष 2019 में CSO तथा NSSO को मिलाकर ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) का गठन किया गया है, जो वर्तमान में राष्ट्रीय आय समंकों का आकलन कर रहा है।
Q15. राष्ट्रीय आय लेखांकन में ‘आधार वर्ष’ का अर्थ है–
(a) वह वर्ष जिसकी आय का उपयोग नाममात्र जीडीपी की गणना के लिए किया जा रहा है
(b) वह वर्ष जिसकी आय का उपयोग वास्तविक जीडीपी की गणना के लिए किया जा रहा है
(c) वह वर्ष जिसकी कीमतों का उपयोग नाममात्र जीडीपी की गणना के लिए किया जा रहा है
(d) वह वर्ष जिसकी कीमतों का उपयोग वास्तविक जीडीपी की गणना के लिए किया जा रहा है
Correct Answer: (d) वह वर्ष जिसकी कीमतों का उपयोग वास्तविक जीडीपी की गणना के लिए किया जा रहा है
Explanation: ‘आधार वर्ष’ राष्ट्रीय आय लेखांकन में उस वर्ष को दर्शाता है – जिसकी कीमतें मूल्यांकन के लिए वास्तविक जीडीपी या वास्तविक राष्ट्रीय आय के मान के संदर्भ में इस्तेमाल होती हैं। वर्तमान में, राष्ट्रीय आय लेखांकन के लिए आधार वर्ष 2011-12 है। उदाहरण के लिए – अगर 2021-22 के दौरान उत्पादित सामग्री और सेवाएं आधार वर्ष (अर्थात 2011-12) की कीमतों पर मूल्यांकित की जाएं, तो इसे वास्तविक कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहा जाएगा।
Q16. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना में एक समस्या है-
(a) अल्प- रोजगार
(b) बचत का निम्न स्तर
(c) मुद्रास्फीति
(d) असंगठित क्षेत्र
Correct Answer: (d) असंगठित क्षेत्र
Explanation: भारत में राष्ट्रीय आय की गणना में, ‘असंगठित क्षेत्र’ एक समस्या है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय की गणना करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय को निगरानी करना और उसे सही तरीके से गणना करना असाध्य होता है। इस क्षेत्र में अधिकांश कामगार असंगठित और अधिकतर केवल नकदी में वेतन प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी आय का सही और निष्पक्ष अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय को गणना करने में सहायक उपकरण और सुधार की आवश्यकता है, ताकि उनकी आय का सही और स्पष्ट अनुमान लगाया जा सके। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को समझा जा सके, बल्कि सही नीतियों को तैयार करने में भी सहायक हो सके।
इस प्रकार, असंगठित क्षेत्र की समस्या को हल करने के लिए गणना तकनीकों का समूह विकसित करने की आवश्यकता है ताकि उसके सही और पूर्ण अनुमान निकाले जा सकें।
Q17. किसी देश की आर्थिक वृद्धि की सर्वाधिक उपयुक्त माप है-
(a) सकल घरेलू उत्पाद
(b) शुद्ध घरेलू उत्पाद
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(d) प्रति व्यक्ति वास्तविक आय
Correct Answer: (d) प्रति व्यक्ति वास्तविक आय
Explanation: किसी देश की आर्थिक संवृद्धि की सर्वाधिक उपयुक्त माप प्रति व्यक्ति वास्तविक आय है।
प्रति व्यक्ति वास्तविक आय वास्तव में एक महत्वपूर्ण मापदंड है जिससे देशों की आर्थिक संवृद्धि और उनके अर्थशास्त्रिक विकास का मूल्यांकन किया जा सकता है।
‘सतत् विकास’ शब्द का प्रयोग पहली बार “हमारा साझा भविष्य” (Our Common Future) यानी ‘द ब्रंटलैंड रिपोर्ट’ (The Brundtland Report) में किया गया था, जो 1987 में प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट में ‘सतत् विकास’ का अर्थ ऐसे विकास को समझाया गया था जो वर्तमान पीढ़ी के आवश्यकताओं को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ी की जरूरतों को भी पूरा कर सके। इस रिपोर्ट ने विकास को संरक्षणवादी और समाजवादी दोनों पहलुओं से देखा था। इसे लेकर अब यह धारणा प्रचलित है कि विकास को ऐसे तरीके से किया जाना चाहिए जो पर्यावरण के साथ संतुलित हो।
इसका उपयोग किसी देश के जीवन स्तर को मापने के लिए किया जाता है और इस प्रकार यह आर्थिक विकास का एक बेहतर संकेतक है।
Q18. किसी देश में जीवन स्तर प्रतिबिंबित होता है –
(a) गरीबी के अनुपात से
(b) प्रति व्यक्ति आय से
(c) राष्ट्रीय आय से
(d) बेरोजगारी की दर से
Correct Answer: (b) प्रति व्यक्ति आय से
Explanation: जीवन स्तर को प्रतिबिंबित करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला मापदंड है “प्रति व्यक्ति आय”। जीवन स्तर का मूल्यांकन इस आधार पर होता है कि प्रत्येक व्यक्ति की आय कितनी है और उसे वह कितनी सुविधाएं और उपलब्धियां प्रदान कर सकती है।
अगर हम प्रति व्यक्ति आय को महसूस करेंगे तो हमें देश के जीवन स्तर का अधिक सटीक और व्यापक पूर्वानुमान प्राप्त होता है। यह भी बताता है कि लोगों के पास कितने आर्थिक संसाधन हैं और वे अपनी जरूरतों को किस हद तक पूरा कर पा रहे हैं।
Q19. भारत की अर्थव्यवस्था में कौन सा क्षेत्र सबसे अधिक योगदान देता है?
(a) सेवा क्षेत्र
(b) विनिर्माण क्षेत्र
(c) कृषि क्षेत्र
(d) लघु उद्योग
Correct Answer: (a) सेवा क्षेत्र
Explanation: सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान देने वाला क्षेत्र है। यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 60% योगदान देता है। इस क्षेत्र के अंतर्गत विविध सेवाएं आती हैं जैसे कि वित्तीय सेवाएं, अनुसंधान और विकास, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, रियल एस्टेट, होटल और पर्यटन, और इत्यादि। इसलिए, सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था के विकास में मुख्य भूमिका निभाता है और वित्तीय उत्तरदायित्व भी उसमें महत्वपूर्ण योगदान करता है।
Q20. भारत की राष्ट्रीय आय की गणना में किसे नहीं जोड़ा जाता है?
(a) वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य
(b) पुराने फ्रिज का बेचा गया मूल्य
(c) गृहिणियों द्वारा प्रदान की गई सेवाएँ
(d) b और c दोनों
Correct Answer: (d) b और c दोनों
Explanation: भारत की राष्ट्रीय आय की गणना में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य जोड़ा जाता है, जबकि पुराने फ्रिज जैसी वस्तुओं का बेचा गया मूल्य और गृहिणियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का मूल्य इसमें शामिल नहीं किया जाता।
हमें आशा है कि आपको इस ब्लॉग सीरीज “Economics Questions and Answers in Hindi-Part 2” से अर्थशास्त्र के विविध और जटिल विषयों में एक स्पष्ट और संक्षिप्त समझ प्राप्त हुई होगी। इस सीरीज के माध्यम से हमने आपको उन प्रमुख अर्थशास्त्रिय प्रश्नों के उत्तर प्रदान किए हैं जो आपके पास्ट, प्रेजेंट, और फ्यूचर में आर्थिक जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
अर्थशास्त्र एक विज्ञान है जो धन, संसाधन, उत्पादन, और वित्तीय बाजार के संबंधों का अध्ययन करता है। इसका अध्ययन करने से हमें समझ मिलती है कि कैसे विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में संसाधनों का उपयोग होता है, कैसे निर्णय लिए जाते हैं, और कैसे व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण के लिए अर्थव्यवस्था को विकसित किया जा सकता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि राष्ट्रीय आय, निवेश, और भारतीय अर्थव्यवस्था पर विचार किया है। हमने यहां अर्थशास्त्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहरी तह में जानकारी प्रदान की है, जो आपको इस विज्ञान की अधिक समझ प्राप्त करने में मदद करेगी।
अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जिसे हर कोई समझ सकता है, चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर हो या व्यापार स्तर पर। इसके माध्यम से हम समझ सकते हैं कि कैसे धन, संसाधन, और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकास और प्रगति को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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